मथुरा : यूपी के मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि के विवाद के बीच ब्राह्मणवादी संगठनों के ऐलान से पुलिस हरकत में आ गई है. पिछले दिनों अखिल भारतीय हिंदू तीर्थ महासभा ने ऐलान किया कि मथुरा में 6 दिसंबर को श्रीकृष्ण का जलाभिषेक करेंगे. संगठन ने ऐलान किया था कि वहां पर श्रीकृष्ण का जन्मभूमि है और हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार है. इसके चलते मथुरा में 6 दिसंबर है पहले धारा 144 लागू कर दिया गया है.
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि 6 दिसंबर के किसी भी कार्यक्रम में शामिल न हो. टिओआई की रिपोर्ट के अनुसार मथुरा पुलिस ने हिंदूवादी संगठन अखिल भारतीय तीर्थ महासभा के ऐलान के बाद धारा 144 लागू कर शहर में पुलिस की गश्ती तेज कर दी गई है. बाहर से आने-जाने वालों पर कड़ी नजर रखने को कहा गया है. वहीं शनिवार को जिले के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह स्थल का मुआयना किया.
मथुरा के जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने मीडिया को बताया कि छह दिसम्बर तथा अन्य कई प्राथमिकताओं को लेकर पहले ही 24 नवम्बर से 21 जनवरी 2022 तक के लिए निषेधाज्ञा लगा दी गई है, जिसके चलते पूरे जनपद में बिना अनुमति पांच या पांच से अधिक व्यक्तियों का एकत्र होना बैन कर दिया गया है. सुरक्षा की दृष्टि है यह कदम उठाया गया है.
दरअसल कुछ दिनों पहले अखिल भारतीय हिंदू तीर्थ महासभा ने पिछले दिनों ऐलान किया कि यूपी के मथुरा में 6 दिसंबर को भगवान श्रीकृष्ण का जलाभिषेक करेंगे. संगठन ने ऐलान किया कि वहां पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मभूमि है और हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार है. बताते चलें कि इस मामले की सुनवाई मथुरा की एक अदालत में हो रही है. मामले में श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक मांगा गया है. साथ ही मंदिर स्थल से शाही ईदगाह मस्जिद को भी हटाने की अपील की गई है.
इस मामले में ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में धर्मस्थलों के बारे में चर्चा कर सांप्रदायिक माहौल बनाया जा रहा है. जबकि 1991 में धर्मस्थलों की सुरक्षा पर बने कानून में यह साफ है कि 15 अगस्त 1947 के बाद देश में धर्मस्थलों का जो भी स्टेटस था, वह वैसा ही रहेगा. बता दें 1991 में संसद में पारित एक अधिनियम में कहा गया था कि अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को छोड़कर देश भर के बाकी सभी धर्म और उपासना स्थलों की स्थिति, अधिकार और मालिकाना हक 15 अगस्त 1947 के पहले जैसे ही रहेंगे. केवल रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को इस विवाद के दायरे से बाहर रखा गया था.
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला देते हुए देश के तमाम विवादित धर्मस्थलों पर भी अपना रुख स्पष्ट किया था. कोर्ट ने कहा था कि काशी और मथुरा में धर्म स्थलों की मौजूदा स्थिति यथावत बनी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 1991 को लागू हुए प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट, 1991 का जिक्र करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि काशी व मथुरा के संदर्भ में यथास्थिति बरकरार रहेगी.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसले में कहा था कि 1991 का यह कानून देश में संविधान के मूल्यों को मजबूत करता है. देश ने इस एक्ट को लागू करके संवैधानिक प्रतिबद्धता को मजबूत करने और सभी धर्मों को समान मानने और सेक्युलरिज्म को बनाए रखने की पहल की है. बेंच ने अपने फैसले में मथुरा-काशी विवाद को विराम देने की बात कहीं थी. कहा था कि संसद ने सार्वजनिक पूजा स्थलों को संरक्षित करने के लिए बिना किसी अनिश्चित शब्दों के आदेश दिया है कि इतिहास को वर्तमान-भविष्य में विवाद के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इसके बाद भी ब्राह्मणवादी संगठन यूपी में ऐन चुनाव के पहले काशी मथुरा मुद्दों को हवा देकर ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे है ताकि इसका फायदा भाजपा को मिले.