टाटा, बिड़ला और रिलायंस जैसे कॉरपोरेट घराने बैंकिंग सेक्टर में फिलहाल नहीं उतर पाएंगे. इन औद्योगिक घरानों ने अपने व्यापारिक साम्राज्य को बैंकिंग में विस्तारित करने की योजना बनाई है.
मुंबई : रिजर्व बैंक ने औद्योगिक घरानों के बैंक खोलने की उम्मीदों झटका दिया है. जिससे टाटा, बिड़ला और रिलायंस जैसे कॉरपोरेट घराने बैंकिंग सेक्टर में फिलहाल नहीं उतर पाएंगे. इन औद्योगिक घरानों ने अपने व्यापारिक साम्राज्य को बैंकिंग में विस्तारित करने की योजना बनाई है. इससे ‘संबंधित सुझाव को रिजर्व बैंक ने अभी मंजूरी नहीं दी है हालांकि अभी इस सुझाव को केंद्रीय बैंक ने खारिज भी नहीं किया है.
आंतरिक कार्यसमिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए आरबीआई ने बताया कि बड़े कॉरेपोरेट हाउस और उद्योगों के बैंक खोलने की सिफारिश पर विचार नहीं किया गया है. इसकी और समीक्षा की जाएगी. दरअसल, कार्यसमिति ने अपनी रिपोर्ट में औद्योगिक घरानों को बैंक खोलने की इजाजत देने की सिफारिश की थी. इसे नामंजूर करते हुए आरबीआई ने कहा कि समिति की 33 में से 21 सिफारिशों को मामूली संशोधन के साथ मंजूरी दी गई, लेकिन कॉरपोरेट घरानों को बैंक खोलने की अनुमति अभी नहीं दी जा सकती है.
एनबीएफसी के नियामकीय ढांचे को मजबूत बनाने हुए आरबीआई ने बैंकों जैसे नियम लागू किए हैं. एनबीएफसी के प्रवर्तकों के पास अब 10 साल का यूनिवर्सल बैंक और पांच साल का लघु वित्त बैंक या भुगतान बैंक का अनुभव होना जरूरी रहेगा. नए यूनिवर्सल बैंक खोलने के लिए न्यूनतम 1,000 करोड़ की पूंजी चाहिए होगी, जो अभी तक 500 करोड़ थी. लघु वित्त बैंकों के लिए यह सीमा मौजूदा 200 करोड़ से बढ़ाकर 300 करोड़ कर दी है. यूनिवर्सल बैंक को स्थापित होने के छह साल के भीतर और लघु वित्त बैंकों को आठ साल के भीतर खुद को सूचीबद्ध कराना होगा.
आरबीआई ने निजी बैंकों के प्रवर्तकों की हिस्सेदारी सीमा में बड़े बदलाव का मंजूरी दी है. इसके तहत शुरुआती पांच साल में प्रवर्तकों को कोई भी हिस्सेदारी रखने की अनुमति होगी, जबकि 15 साल या उससे ज्यादा की अवधि में प्रवर्तकों को 26 फीसदी तक हिस्सेदारी रखनी होगी. अभी यह सीमा 15 फीसदी है. यानी कि संबंधित बैंक के शेयरों के बदले निवेशकों से मिली राशि का 26 फीसदी प्रवर्तकों को लगाना होगा. गैर प्रवर्तकों को अपनी हिस्सेदारी 5 फीसदी से ज्यादा बढ़ाने के लिए आरबीआई से अनुमति लेनी होगी और वे 15 फीसदी तक हिस्सेदारी रख सकेंगे. शुरुआती पांच साल में प्रवर्तकों को शेयर गिरवी रखने की इजाजत नहीं होगी.
बता दें कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य भी बैंकिंग सेक्टर में प्रस्तावित बदलावों के तहत भारतीय कॉरपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की अनुमति देने की सिफारिश की आलोचना कर चुके है. उन्होंने इस सुझाव को बैड आइडिया बताया था. उन्होंने चेताया था कि कॉरपोरेट घरानों को बैंक खोलने की अनुमति देने से कुछ खास कारोबारी घरानों के हाथ में और ज्यादा आर्थिक ताकत इकट्ठा होगी.
PAY BACK TO THE SOCIETY NATIONWIDE AGITATION FUNDDonate Here
आपके पास अगर कोई महत्वपुर्ण जानकारी, लेख, ओडीयो, विडीयो या कोई सुझाव हैै तो हमें नीचे दिये ई-मेल पर मेल करें.:
email : news@mulniwasinayak.comAll content © Mulniwasi, unless otherwise noted or attributed.
It is clear from that the lack of representation given to our collective voices over so many issues and not least the failure to uphold the Constitution - that we're facing a crisis not only of leadership, but within the entire system. We have started our “Mulnivasi Nayak“ on web page to expose the exploitation and injustice wherever occurring by the brahminical forces & awaken the downtrodden voiceless & helpless community.
Media is playing important role in democracy. To form an opinion is the primary work in any democracy. Brahmins and Banias have controlled the fourth pillar of the democracy, by which democracy is in danger. We have the mission to save the democracy & to make it well advanced in common masses.