मोदी सरकार लाख दावा करे, लेकिन भारत की हालत दिन व दिन खराब ही होती जा रही है. खासकर महिलाओं की स्वास्थ्य और सुरक्षा के मामलों में भारत अन्य देशों की तुलना में कोसों दूर है.
नई दिल्ली : मोदी सरकार लाख दावा करे, लेकिन भारत की हालत दिन व दिन खराब ही होती जा रही है. खासकर महिलाओं की स्वास्थ्य और सुरक्षा के मामलों में भारत अन्य देशों की तुलना में कोसों दूर है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2017 में भारत में 35 हजार महिलाओं की मौत प्रसव के दौरान हो गई. वहीं 2018 में जन्म के पाँच वर्ष से कम आयु के 8.82 लाख बच्चों को भी नहीं बचाया जा सका. यह आंकड़ा डब्ल्यूएचओ ने गुरुवार को बाल एवं मातृत्व मृत्यु रिपोर्ट मे जारी किया है.
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2000 के मुकाबले आज विश्व में बच्चों की मौतें आधी रह गई हैं. प्रसव के समय होने वाली महिलाओं की मृत्यु का आंकड़ा एक तिहाई हो गया है. इसकी वजह स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और जाँच व निगरानी व्यवस्थाओं के सख्ती से हुए पालन को बताया गया है.
इसके बावजूद विश्व में 2018 में 62 लाख बच्चों की मौत 15 वर्ष की उम्र पूरी करने से पहले हो गई थी. इनमें से 53 लाख बच्चे पाँच वर्ष से छोटे थे. वहीं 2.9 लाख महिलाओं की मौत प्रसव के दौरान बिगड़ी स्थितियों की वजह से 2017 में हुईं थी.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार बच्चों की मौतों की वजह निमोनिया, डायरिया, मलेरिया पाया गया है. बड़े बच्चों में सड़क हादसे, चोट या पानी में डूबना प्रमुख वजहें रही है. जबकि, प्रसूताओं की मौत की प्रमुख वजह प्रसव के समय हाई बीपी, रक्त ज्यादा बह जाना और संक्रमण सबसे ज्यादा है.
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अगर, भारत में होने वाले प्रसूताओं और बच्चों के मौत की बात करें तो भारत में हर 290 प्रसूताओं में से एक की प्रसव के दौरान मौत होती है. भारत में 35 हजार प्रसूताओं की मौतें विश्व में दूसरी सर्वाधिक है. जबकि, नाइजीरिया में 67 हजार मौतें हुईं थीं.
हालांकि, भारत ने 2000 से 2017 के दौरान इन मौतों की संख्या 61 प्रतिशत घटाई है. वर्ष 2000 में प्रति एक लाख में से 370 प्रसूताओं की प्रसव के दौरान मौत हो रही थी, जिसे 145 तक लाया गया है.
हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की आधी मौतें भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, कांगो और इथियोपिया में हुईं हैं. नाइजीरिया में 8.66 लाख और भारत में 8.82 लाख मौतें हुईं हैं.
भारत में सर्वाधिक बच्चों की मौतों की वजह अधिक जनसंख्या बताया गया है. वर्ष 1990 में डब्ल्यूएचओ ने 34.17 लाख बच्चों की मौतों का आकलन किया था. आज हर एक हजार बच्चों में 37 की मौत पाँच वर्ष आयु पूरी करने के पहले हो रही है. जबकि, 1990 में यह संख्या 126 थी.
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