पटना : बहार में अपनी रोज़ी-रोटी के लिए मनरेगा के तहत काम करने वाले हज़ारों दिहाड़ी मज़दूरों को महीनों से भुगतान नहीं किया गया है. क्योंकि, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार समय पर धन उपलब्ध नहीं करा रही है. अब तक, राज्य के पास केंद्र से इन कर्मियों के लिए मज़दूरी का 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का बिल लंबित है. इसने श्रमिकों के लिए परेशानियां खड़ी कर दी हैं क्योंकि मनरेगा इन श्रमिकों के लिए कमाई का एकमात्र स्रोत है.
गौरतलब है कि गया ज़िले के टेकरी प्रखंड के दिहुरा और शिव नगर पंचायत में भूमिहीन खेतिहर मज़दूरों का कहना है कि सैकड़ों मजदूर सितंबर से मनरेगा के तहत किए गए काम के भुगतान का इंतजार कर रहे हैं. वे उन हज़ारों ग़रीबी से पीड़ित मज़दूरों में से हैं जो मज़दूरी न मिलने के कारण बुनियादी ज़रूरतों की पूर्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
मजदूरों का कहना है कि हम ग़रीब हैं. स्थानीय पंचायत रोज़गार सेवक मुखिया और ब्लॉक स्तर के सरकारी अधिकारियों ने हमें बताया कि केंद्र सरकार से फंड नहीं आ रहा है. हमें नहीं पता कि हमें कब भुगतान किया जाएगा. असल में भुगतान में देरी कई मज़दूरों को हतोत्साहित करती है और उन्हें रोज़ी रोटी कमाने के लिए कहीं और काम तलाशने के लिए मजबूर करती है. मजदूरों ने बताया कि मनरेगा के तहत काम के लिए मज़दूरी मिलना आसान नहीं है. हम पिछले महीने से भुगतान का इंतज़ार कर रहे हैं. हालांकि, बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने इसे गंभीरता से लेते हुए केंद्र को चेताया है कि इससे आने वाले दिनों में आजीविका की तलाश में ग्रामीण बिहार से और पलायन होगा.
ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि मनरेगा के तहत बड़ी संख्या में श्रमिकों को कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि केंद्र द्वारा बकाया राशि का भुगतान करने में विफलता के कारण उन्हें मज़दूरी का भुगतान नहीं किया गया है. अगर श्रमिकों को उनके काम करने के बाद समय पर भुगतान नहीं किया जाता है तो उन्हें कहीं और काम करने या काम की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर किया जाएगा.
मंत्री ने कहा कि ऐसी स्थिति के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह से ज़िम्मेदार है. क्योंकि वह मज़दूरी के तहत धन उपलब्ध नहीं करा रही है जो उचित माध्यमों से बार-बार अनुरोध के बावजूद लंबित हैं. उन्होंने कहा, बिहार को मनरेगा के तहत धन नहीं मिल रहा है. अगस्त में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार बनने के बाद से केंद्र बिहार की अनदेखी और भेदभाव कर रहा है. ऐसा बीजेपी को छोड़कर महागठबंधन के साथ हाथ मिलाने के जेडीयू के फ़ैसले के कारण हुआ है.