मुंबई : दो साल पहले आई कोरोना महामारी ने केवल लोगों की जाने ही नहीं बल्कि कई बच्चों को अनाथ बनाकर करोड़ों लोगों को गरीबी के गर्त में धकेल दिया. इस दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी तो कई बच्चे बेसाहरा हो गए. कुछ तो ऐसे भी हैं जिनके घरों में बच्चों के अलावा कोई बचा ही नहीं. इस महामारी के दौरान देश में महाराष्ट्र एक ऐसा जिला रहा जहां सबसे ज्यादा लोग कोरोना से पीड़ित रहे. राज्य में जिन बच्चों के परिजनों की मौत हुई है, उनमें से 90 प्रतिशत ने अपने पिताओं को खोया है.
इस बीच महाराष्ट्र में महिला एवं बाल विकास विभाग के डेटा से सामने आया है कि कोरोना में राज्य में हर दस बच्चों ने अपनी मां को खो दिया, उनमें से नौ के पिता की मौत हो गई. मार्च 2020 में महामारी की शुरुआत के बाद से, राज्य में 28,938 बच्चों ने अपने माता-पिता में से किसी एक को संक्रमण के कारण खो दिया. मरने वालों में 2,919 माताएं और 25,883 पिता थे. 136 मामलों में एक ही परिवार के एक से अधिक बच्चों ने अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया. मार्च 2020 और अक्टूबर 2021 के बीच महाराष्ट्र में 1,39,007 कोविड से मौतें दर्ज की गईं. इनमें 92,212 पुरुष और 46,779 महिलाएं हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, महाराष्ट्र में अब तक कोरोना से 1,48,404 मौतें हुई. यी किसी भी राज्य से सबसे ज्यादा है.
महामारी से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने मुआवजे का ऐलान किया है, लेकिन लोगों को यह राशि लेने में परेशानियां आ रही हैं. अंग्रेजी वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने बताया कि कई विधवाओं को दस्तावेजों की कमी के चलते मुआवजा नहीं मिल पा रहा है. वहीं कई मामले ऐसे हैं, जहां कोरोना के कारण जान गंवाने वाले शख्स के परिजनों के अलावा उसकी पत्नी ने भी मुआवजे पर दावा किया है.
महाराष्ट्र ने कोरोना पीड़ितों के परिजनों के लिए 50 हजार रुपये के मुआवजे का ऐलान किया है. वहीं कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के खाते में सरकार पांच लाख रुपये जमा करवा रही है. इसके अलावा उन्हें 1125 रुपये मासिक भत्ता भी दिया जा रहा है. वहीं पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम के तहत केंद्र सरकार अनाथ बच्चों को 23 साल की उम्र पूरी करने पर उनके खाते में 10 लाख रुपये जमा कराएगी.
राज्य राहत और पुनर्वास विभाग के एक अधिकारी, जिनके पास सरकार द्वारा कोविड पीड़ितों के परिजनों को अनुग्रह राशि के रूप में घोषित किए गए 50,000 रुपये को बांटने की जिम्मेदारी है, ने कहा, हमें ऐसे कई डुप्लीकेट आवेदन मिले हैं जिनमें मृतक की पत्नी और उसके माता-पिता दोनों ने अनुग्रह राशि का दावा किया है.