भारत में कई एयरपोर्ट के संचालन का ठेका हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किस तरह एक उद्योगपति को फायदा पहुंचाने के लिए विदेशी नेताओं पर दबाव बना रहे है, इसका खुलासा हुआ है.
नई दिल्ली : भारत में कई एयरपोर्ट के संचालन का ठेका हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किस तरह एक उद्योगपति को फायदा पहुंचाने के लिए विदेशी नेताओं पर दबाव बना रहे है, इसका खुलासा हुआ है. श्रीलंका में सरकारी सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के अध्यक्ष एमएमसी फर्डिनेंडो ने खुलासा किया है कि श्रीलंका में अडानी समूह को विंड पावर प्रोजेक्ट देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर दबाव डाला था. इस बयान के बाद अब एमएमसी फर्डिनेंडो ने अपना इस्तीफा दे दिया है.
वहीं प्रोजेक्ट का काम देने को लेकर गुरुवार को सीईबी ने साफ किया कि यह भारत सरकार के अनुरोध और सिफारिश पर किया गया था. सीईबी द्वारा डेली एफटी अखबार में जारी किया गये स्पष्टीकरण में कहा गया है कि भारत सरकार के अनुरोध और सिफारिश पर अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) के एक प्रस्ताव पर श्रीलंका सरकार द्वारा अमल किया गया. जिसमें अडानी ग्रुप को निवेश बोर्ड (बीओआई) के लिए सरकार की नीति मंजूरी दे दी है.
श्रीलंका के मन्नार और पूनरिन में एजीईएल को पावर प्रोजेक्ट आवंटित करने को लेकर इस महीने की शुरुआत में तत्कालीन सीईबी अध्यक्ष, एमएमसी फर्डिनेंडो ने संसद की समिति (सीओपीई) को बताया था कि मन्नार में पवन ऊर्जा संयंत्र का प्रोजेक्ट भारत के अडानी समूह को दिया गया था, क्योंकि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर इसके लिए दबाव डाला था.
हालांकि अपने सनसनीखेज दावे के दो दिन बाद फर्डिनेंडो अपने बयान से मुकर गए. उन्होंने यू-टर्न लेते हुए कह कि उन्होंने भावना से उबरने के बाद झूठ कहा था. फर्डिनेंडो ने कहा था कि श्रीलंका के राष्ट्रपति ने उनसे कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री अडानी समूह को 500 मेगावाट का पवन ऊर्जा संयंत्र देने पर जोर दे रहे हैं.
बता दें कि इस मामले में भारत में कांग्रेस ने भी मोदी सरकार पर हमला बोला है. कुछ दिन पहले कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने आरोप लगाते हुए कहा था कि श्रीलंका की सरकारी सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के अध्यक्ष एमएमसी फर्डिनेंडो ने वहां की संसद में कहा कि हमारे राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर मोदी जी ने दबाव डाला कि अडानी समूह को पवन ऊर्जा परियोजना का काम दिया जाए.
वल्लभ ने सवाल किया था कि क्या प्राइवेट पार्टी को ठेका दिलाने के लिए हमारे देश के प्रधानमंत्री बने है. भारत जैसे महान देश के पीएम किसी कंपनी के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं क्या? उन्होंने कहा कि ईडी और बाकी एजेंसियों ने इस मामले में क्या जांच करना ठीक नहीं समझा? कांग्रेसी प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री एक निजी व्यक्ति को फायदा क्यों पहुंचाना चाहते थे? आखिर उनकी क्या मजबूरी थी?
गौरव बल्लव ने कहा था कि मोदी ने श्रीलंका में ही अडानी समूह को लाभ नहीं दिलाया बल्कि देश में 2014 में जैसे ही मोदी ने सत्ता संभाली उनकी सरकार ने स्टेट बैंक के साथ समझौता कर अडानी को एक अरब डालर यानी सात हजार आठ सौ 25 करोड़ रुपए का वित्तीय सहायता देने का काम किया. जब इसका देश में विरोध हुआ तो मामले को दबा दिया. प्रवक्ता ने कहा कहा था कि ईडी इस मामले में चुप रहता है. कर्नाटक में ईश्वरप्पा पर 45 प्रतिशत रिश्वत लेने का ठेकेदार आरोप लगाते हैं तो ईडी चुप्पी साध लेता है. मध्य प्रदेश, गोवा, असम में कई घोटाले होते हैं लेकिन उन पर ईडी कुछ नहीं बोलता है.
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