किसानों ने धर दबोचा आरोपी शूटर
नई दिल्ली : तीन नए कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. इस बिच किसानों के आंदोलन को खलिस्तान, आतंकवाद और नक्सलवाद से जोड़कर आंदोलन में खलल डालने और किसानों का मनोबल गिराने की कोशिश की गई. इसके बावजूद किसानों को आंदोलन तेज गति से बढ़ता ही जा रहा है.
अब इस आंदोलन में बाधा डालने की एक और कोशिश करने का भंडाफोड हुआ है. जिसके तहत ट्रैक्टर परेड में 4 किसान नेताओं को गोली मारने योजना थी. आंदोलनकारी किसानों ने शुक्रवार को एक ऐसे ही शख्स को धर दबोचा है जो उनके प्रदर्शन में बाधा डालने से जुड़ी साजिश में लिप्त था. किसान नेताओं ने उसको साथ बैठाकर देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह साजिश उसी से उगलवाई.
नकाबपोश आरोपी ने स्वीकारा कि वह सिंघु बॉर्डर पर रेकी करने आया और उसके गैंग के निशाने पर किसान नेताओं द्वारा 26 जनवरी को निकाली जाने वाली ट्रैक्टर परेड थी. आरोप है कि चार किसान नेता को गोली मारने का भी प्लान था और यह हमला 23-26 जनवरी के बीच किया जाना था.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, किसानों की ट्रैक्टर परेड निशाने पर थी. दरअसल, किसान यूनियन के नेताओं ने सिंघु बॉर्डर पर एक शख्स को पेश किया. आरोप लगाया कि चार किसान नेताओं को गोली मारने और आंदोलन में बाधा डालने की साजिश थी. पीसी के दौरान किसान नेता कुलवंत सिंह संधु बोले- एंजेसियों द्वारा किसान आंदोलन को भटकाने के प्रयास किए जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, आरोपी शख्स को पुलिस के हवाले कर दिया गया है.
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मालूम हो कि किसानों के दिल्ली मार्च ऐलान को भी अब लगभग 2 महीने होने को हैं ऐसे में सरकार ने लगभग सभी हथकंडे अपना लिए हैं कि विरोध प्रदर्शन खत्म हो जाए या किसानों का आंदोलन धीमा पड़ जाए मगर उल्टा किसान आंदोलन तेजी से जंगल में आग की तरह फैलता चला जा रहा है. किसानों के आंदोलन को लेकर सरकार और पुलिस की भूमिका पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं इस बार किसानों ने एक ऐसा सबूत भी पकड़ा है जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि पुलिस वाले किसानों के खिलाफ बड़ी साजिश रच रहे हैं.
दरअसल किसानों ने आधी रात को आपातकालीन प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए दावा किया कि वो जिस शख्स को मीडिया के सामने पेश कर रहे हैं वो अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने आया था, वो भी पुलिस के इशारे पर. पहचान छुपाए हुए नौजवान को जब मीडिया के सामने पेश किया गया तो उसने न सिर्फ इस आरोप पर हामी भर दी बल्कि तमाम बड़े खुलासे किए.
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बता दें कि 11वें दौर की वार्ता बेनतीजा रहने के साथ ही किसान नेताओं ने आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी. वार्ता के पिछले 10 दौर के विपरीत 11वें दौर की वार्ता में अगली बैठक की कोई तारीख तय नहीं हो पाई और दोनों पक्षों ने अपने रुख को कड़ा कर लिया.
सरकार ने किसान यूनियनों से कहा कि यदि वे कानूनों को निलंबित रखने पर सहमत हों तो शनिवार तक बता दें तथा बातचीत इसके बाद ही जारी रह सकती है. सरकार ने बुधवार को पिछले दौर की वार्ता में किसानों के दिल्ली की सीमाओं से अपने घर लौटने की स्थिति में कानूनों को एक से डेढ़ साल के लिए निलंबित रखने तथा समाधान ढूंढ़ने के लिए संयुक्त समिति बनाने की पेशकश की थी.
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