नई दिल्ली : मुख्यमंत्री पद पर क़ाबिज़ होते ही योगी आदित्यनाथ ने अपराध को रोकने का दावा किया था. अब उनके दावों की पोल खुलनी शुरू हो गयी हैं. क्योंकि सरकार पूरी तरह अपराधियों पर नियंत्रण नही कर सकीं. सरकार ने कुछ अपराधियों के एनकाउंटर भी किए फीर भी पूरी तरह सफलता नहीं मिली. हालॉंकि सरकार पर फर्जी एनकाउंटर के आरोप भी लगे हैं. राज्य सरकार ने जो भूमाफीया पोर्टल बनाया था, उसमें आंतकी विकास दुबे का नाम नहीं था. कानपुर घटना के बाद सोमवार को प्रदेश पुलिस द्वारा जारी लिस्टेड अपराधियों की सूची में पहली बार विकास दुबे का नाम पाया गया हैं. इससे योगी सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
राज्य सरकार ने भूमाफिया पोर्टल पर बड़ी संख्या में कथित माफियाओं के नाम डाले. इनमें से अनेक के विरुद्ध संपत्ति ज़ब्ती की कार्रवाई भी की गई. हालांकि विपक्षी दलों ने इसे अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को ठिकाने लगाने का अभियान क़रार दिया. जिसमें ‘चुन- चुन कर मुसलामानों, एससी एवं पिछड़ा वर्ग के लोगों को ही रखा गया है. विपक्ष की बातों में लोगों को इसलिए दम दिखा क्योंकि इनमें प्रदेश भर में फैले सैकड़ों छोटे-बड़े माफियाओं का कहीं नाम नहीं था जिनके पास हज़ारों एकड़ ज़मीन है. कानपुर के कुख्यात अपराधी विकास दुबे का उदाहरण ही काफ़ी है जिसके पास 250 बीघा नामी ज़मीन है और योगी जी के भूमाफिया पोर्टल में दूर-दूर तक इसका नाम नहीं था.
यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह कहते हैं ‘यहॉं हालात राजनीति के अपराधीकरण से ऊपर उठकर अपराध के राजनीतिकरण के बन चुके हैं. यह बड़ा विकट और गंभीर पेंच है और जिसकी जड़ें अभी और गहरे जाने वाली हैं. उधर प्रदेश के ही पूर्व एडिशनल डीजीपी बृजेन्द्र सिंह का कहना है ‘यह कास्ट, कम्युनलिज़्म, करप्शन, कॉरपोरेट और पॉलिटिक्स का पाशविक गठबंधन है जिसके नतीजे निरपराध पुलिस वालों की जान देकर पूरे हुए हैं.
दरअसल राष्ट्रीय अपराध रिपोर्ट ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जनवरी 2020 में जारी उसकी अंतिम रिपोर्ट में बताया गया है कि बलात्कार के मामलों में विगत वर्ष 2018 में देश में टॉप करने वाला सूबा यूपी था. प्रदेश में प्रतिदिन 11 बलात्कार के रिपोर्ट होने का आकलन है यानी हर 2 घंटे में एक बलात्कार.
दूरदराज़ शहरों की बात छोड़ दें, महिलाओं पर होने वाले अपराधों के मामलों में लखनऊ सबसे ऊपर है. इस रिपोर्ट में बच्चों के विरुद्ध हर (90 मिनट पर होने वाले) अपराध संकलित हैं. इसी प्रकार हत्या, लूट, अपहरण, बलवा आदि के आँकड़ों में भी कहीं से गिरावट नहीं है. पिछले वर्ष 2017 की तुलना में कुल अपराधों में 1.3फीसदी की वृद्धि हुई है. अभी 2019 के आंकड़े प्रकाशित नहीं हुए हैं लेकिन ब्यूरो टीम के सूत्रों का अनुमान है कि यह और भी बढ़ेगा.
घटना में दिवंगत डीएसपी देवेंद्र मिश्र ने 14 मार्च को एसएसपी कानपुर को भेजे विभागीय पत्र में विकास दुबे की गंभीर आपराधिक गतिविधियों और थानाध्यक्ष चौबेपुर द्वारा उसके प्रति सहानुभूति रवैया अपनाने का पहला शिकायती विभागीय पत्र 14 मार्च को भेजा. उन्होंने इसके बाद फॉलोआप के रूप में कई पत्र भेजे लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसा माना जाता है कि विकास के पीछे मज़बूत राजनीतिक संरक्षण था और एसएसपी कुछ कर नहीं पा रहे थे.
आने वाले समय में शासन को इस बात का जवाब भी देना होगा ही कि क्यों विकास दुबे के उस मकान को ज़मींदोज़ कर दिया गया जिसमें राज्य के एक प्रमुख सचिव के नाम से रजिस्टर्ड कार खड़ी थी और जहॉं अनगिनत हथियार और दूसरे सबूत मौजूद थे.