रायपुर : भारतीय संविधान में आरक्षण का आधार सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ा होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ में से तीन जजों ने 10 फीसदी ईडब्ल्यूए आरक्षण पर मुहर लगा दी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा पर कर दी. जब की सुप्रीम कोर्ट 50 फीसदी आरक्षण का हवाला देकर मराठा और अन्य समूह को आरक्षण देने से इनकार करती है. आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा पार होने के बाद अब राज्य सरकारे आरक्षण को बढ़ा रही है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को आरक्षण बिल सर्वसम्मति से पास हो गया. इसके तहत छत्तीसगढ़ में अब एसटी को 32 फीसदी, एससी को 13 फीसदी, ओबीसी को 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस को 4 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. इसके बाद राज्य में कुल आरक्षण 76 फीसदी हो जाएगा.
सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी के पास अपने प्रभारियों को बताने के लिए कुछ नहीं है. इसलिए वे लोग आरोप लगा रहे हैं. आरक्षण मामले में कुणाल शुक्ला पर विपक्षी दल सवाल खड़े कर रहे हैं. जबकि सच यह है कि आरक्षण मामले में 41 लोग कोर्ट गए थे. उनमें से एक नाम कुणाल शुक्ला का है. बीजेपी शासन काल में आरक्षण का विषय था. बीजेपी में मंत्रियों की कमेटी बनी, लेकिन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी हाईकोर्ट में प्रस्तुत नहीं की. क्वावांटिफाबल डाटा आयोग 7 साल में बीजेपी नहीं बना पाई. जब हमारी सरकार आई तो हमने आयोग बनाया और उसकी रिपोर्ट भी 3 साल में आ भी गई, जबकि 2 साल कोरोना में बीता है.
सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के जंगली इलाकों में रह रहे लोगों की स्थिति कमजोर है. आरक्षण में उन्हें स्थान दिया जा रहा है. सीएम बघेल ने सदन में कहा कि हमने केंद्र सरकार से कहा कि जनगणना करा लें. हम भी संख्या के आधार पर एससी को 16 प्रतिशत आरक्षण देंगे. हमारे मंत्री आज ही राजभवन जाएंगे. राज्यपाल से बिल पर दस्तख़त करने का आग्रह करेंगे. आरक्षण बिल की मंशा भी उन्हीं की थी.सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि इस आरक्षण विधेयक को नौंवी अनुसूची में शामिल करने प्रधानमंत्री मोदी से मिलने पक्ष-विपक्ष के सभी सदस्य मिलकर चलें. छत्तीसगढ़ में अब कुल आरक्षण 76 फीसदी होगा. राज्यपाल की मंजूरी के लिए आज ही बिल भेजा जाएगा. तमिलनाडु में 69, महाराष्ट्र में 68 फीसदी आरक्षण है.
छत्तीसगढ़ में साल 2012 तक 50 फीसदी आरक्षण दिया गया था. इसके बाद साल 2012 से 19 सितंबर 2022 तक 68 फीसदी आरक्षण था. अब विधानसभा के विशेष सत्र में 76 फीसदी आरक्षण के बिल को सर्वसम्मति से पास किया गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पिछली सरकार ने इसे सर्कुलर के रूप में जारी किया था, हमने इसे एक्ट बना दिया है. यदि जनगणना होगी तो जनगणना के अनुसार आरक्षण का समुचित लाभ दिया जाएगा. इसके तहत जिले स्तर पर लोगों को लाभ मिलेगा. जिन जिलों में ओबीसी की संख्या ज्यादा है, उन्हें 27 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा.
विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान आरक्षण बिल पास होने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि विधानसभा के दो दिवसीय सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक को मंजूरी दी गई. छत्तीसगढ़ में अब 76 प्रतिशत आरक्षण होगा. शैक्षणिक और नौकरियों दोनों के लिए अलग-अलग संशोधन विधेयक को सदन से मंजूरी मिल गई है. आज ही विधेयक को राज्यपाल के पास भेजा गया है, जहां से मंजूरी मिलते ही राजपत्र में इसका प्रकाशन कर दिया जायेगा.
विधेयक पारित होने के बाद ट्वीट में सीएम भूपेश बघेल ने कहा, ‘छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण के लिए सर्वसम्मति से पारित विधेयक को केंद्र सरकार के पास भेजने का संकल्प भी विधानसभा में पारित हो गया है.’ एक अन्य ट्वीट में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इस संकल्प में केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है कि वह इस आरक्षण प्रावधान को नौंवी अनुसूची में शामिल करे. विपक्षी दल भाजपा भी इस संकल्प में साथ देती तो राज्य की जनता को और अच्छा लगता.’ उन्होंने ट्विटर पर लिखा, बधाई! मनाइए उत्सव.