नई दिल्ली : दौलत आसमान से नहीं टपकती, लेकिन पार्षद, विधायक, सांसद और मंत्री देखते ही देखते मालामाल हो जाते हैं. इसी कड़ी में गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी और उनकी पत्नी की संपत्ति 2017 में 2.12 करोड़ रुपये थी और अब बढ़कर 2022 में 17.42 करोड़ रुपये हो गई. वहीं मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की संपत्ति 2017 में 5.19 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022 में 8.22 करोड़ रुपये हो गई है. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है. हीरा कारोबारी हर्ष सांघवी सूरत की माजुरा क्षेत्र से एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं.
एडीआर के आंकड़ों के मुताबिक सभी दलों को ओर से मैदान में उतारे गए 125 विधायकों में से संपति में बढ़ोतरी के मामले में टॉप पांच भाजपा के विधायक हैं. सांघवी के अलावा भाजपा के अन्य चार विधायकों की संपत्ति पांच वर्षों में सबसे ज्यादा बढ़ी है. इन विधायकों में मेहमदाबाद सीट से उम्मीदवार और ग्रामीण विकास मंत्री अर्जुन सिंह चौहान के परिवार की संपत्ति में 573 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वहीं लिमखेड़ा से शैलेश भाभोर (संपत्ति में 481 प्रतिशत की वृद्धि) उंबरगांव से रमनलाल पाटकर (संपत्ति में 335 प्रतिशत की वृद्धि) और वडोदरा शहर से मनीषा वकील (संपत्ति में 308 प्रतिशत की वृद्धि) सामने आई है.
इस बार फिर से चुनाव लड़ने वाले 125 विधायकों में से 71 भाजपा के हैं. जबकि 50 कांग्रेस एक समाजवादी पार्टी (सपा) का है और तीन निर्दलीय विधायक फिरसे मैदान में हैं. इनमें से 105 विधायकों की संपति में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. जिनमें से बीजेपी के 59, कांग्रेस के 43 विधायक है. अन्य सपा और निर्दलीय हैं.गौरतलब है कि अगर किसी जनप्रतिनिधि की संपत्ति कुछ ही वर्षों में लाख से बढ़कर करोड़ रुपये हो जाए तो यह आंकड़ा हैरान करने वाला है. एक आम आदमी कैसा भी व्यापार करे उसे हजार को लाख में बदलने में वर्षों लग जाते हैं, जबकि हमारे सांसद, विधायक और मंत्री महज एक बार के प्रतिनिधित्व में लाख को करोड़ में बदलने का माद्दा रखते हैं. यानी सेवा के नाम पर की जा रही सियासत भारी मुनाफा देने वाले उद्योग बन गए है.
ऐसा भी नहीं है कि यह बढ़ोतरी किसी एक राज्य के विधायकों की संपत्ति में हुई है. ऐसे कई विधायक, सांसद और मंत्री है जिनकी संपत्ति बेतहाशा बढ़ गई है. यह बेतहाशा वृद्धि इसलिए भी सवाल खड़े करती है, क्योंकि एक जनप्रतिनिधि के रूप में इनकी कमाई उतनी नहीं होती, जिससे इतनी बढ़ोतरी हो सके. जब कोई राजनेता चुनकर आता है तो थोड़े ही दिनों में उसके सगे-संबंधी भी मालदार बन जाते हैं.