चंडीगढ़ : पंजाब में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर संगरूर में सीएम भगवंत मान के आवास की ओर कूच कर रहे मजदूर यूनियन के लोगों पर पुलिस ने लाठियां बरसाई. इस दौरान कई मजदूरों की चोटें आई हैं. कई बचने के लिए भागे तो गिरकर चोटिल हुए और कई को लाठियां पड़ीं. लाठीचार्ज के बाद मजदूरों में पंजाब सरकार को लेकर और गुस्सा है. हालांकि संगरूर के एसएसपी सुरेंद्र लांबा ने कहा कि कोई लाठीचार्ज नहीं हुआ. सिर्फ धक्का-मुक्की हुई थी और प्रदर्शनकारियों को समझाकर पीछे किया गया था.
श्रमिक वेतन वृद्धि और मनरेगा के तहत दैनिक मजदूरी 700 रुपये करने की मांग कर रहे थे. इसके अलावा पंचायत की ओर से पांच-पांच मरले के प्लॉट मजदूरों को घर बनाने के लिए दिए जाएं. माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का कर्ज माफ किया जाए. मनरेगा में लगातार काम दिया जाए. मजदूरों को 5 हजार रुपये हर महीना पेंशन देने की मांग कर रहे थे. साथ ही जो दिहाड़ी मिलती है उसका रेट फिक्स किये जाने की मांग कर रहे थे. अपनी इन्हीं मांगों को लेकर पिछले कई महीनों से खेतिहर मजदूर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना था कि आप सरकार उनसे वादाखिलाफी कर रही है.
फिलहाल मजदूर संगठनों को 21 दिसंबर को मुख्यमंत्री के साथ मीटिंग का समय दिया गया है, जिसके बाद धरना समाप्त किया गया. पंजाब की आठ मजदूर यूनियनों का संयुक्त मंच सांझा मजदूर मोर्चा ने बुधवार को संगरूर स्थित पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के मकान के बाहर धरना देने का पहले से ऐलान किया था. मजदूर यूनियनों का आरोप है कि सरकार अपने वादों पर अमल नहीं कर रही है और उनको धोखा दी है. हालांकि मान सरकार का तर्क है कि वह केवल आठ महीने पहले सत्ता में आई थी और उसे अपने वादों को पूरा करने के लिए समय चाहिए.
पंजाब खेत मजदूर यूनियन के अध्यक्ष जोरा सिंह नसराली जो सांझा मजदूर मोर्चा का एक हिस्सा है, ने कहा, ‘हमारी सीएम भगवंत मान, वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा और कई उच्च अधिकारियों के साथ पहले बैठकें हुई थीं. सीएम मान के साथ हमारी आखिरी बैठक 3 अक्टूबर को होनी थी, लेकिन इसे रद्द कर दिया गया था. और उसके बाद मुलाकात की कोई तारीख घोषित नहीं की गई. अधिकारियों ने केवल आश्वासन दिया. इसलिए हमारे पास सीएम के घर के बाहर विरोध करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था.
ज़मीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष मुकेश मलौद ने कहा, ‘हमारी कमेटी के सदस्य पिछले एक हफ्ते से डिप्टी कमिश्नर पटियाला के कार्यालय के बाहर बैठे थे, लेकिन हमारी मांगें पूरी नहीं की गईं. आप सरकार कहती रहती है कि वह किसानों और मजदूरों की सरकार है, लेकिन फिर भी वह हमारी उपेक्षा करते हैं.