न्यूयॉर्क : भारत में हर आदमी को भरपेट भोजन नहीं मिल पाता है. तकरीबन 20 करोड़ से ज्यादा लोग भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं. इसके साथ ही भूख से होने वाली मौतों के आंकड़े दिन व दिन बढ़ती है. बच्चों में कुपोषण समस्या एक गंभीर समस्या बन गई है. लेकिन, जितनी भोजन की कमी है, उतना ही भारत में बर्बाद भी होता है. हालांकि, खाने की बर्बादी केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में भी होता है. इसके जो ताजा आंकड़े आए हैं, वो हैरान करने वाले हैं.
नए आंकड़े के मुताबिक पूरी दुनिया में जितना फूड का उत्पादन होता है, उसका एक तिहाई बर्बाद हो जाता है. यानी एक तिहाई फूड बिना खाए फेंक दिया जाता है या वो बर्बाद चला जाता है. अगर बर्बाद खाने की कीमत के बारे में पता करें तो पूरी दुनिया में हर साल करीब 940 बिलियन डॉलर का खाना बर्बाद होता है. भारतीय करेंसी में इसकी कीमत करीब 67 लाख करोड़ रुपए होती है. अंदाजा लगाया जा सकता है कि खाने की बर्बादी किस हद तक होती है.
संयुक्त राष्ट्र (यूनाइटेड नेशन) की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में जमकर खाने की बर्बादी हो रही है, जबकि दुनिया के कई देशों में लोग अब भी भूख से मर रहे हैं. साल 2019 में एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में 93 करोड़ 10 लाख टन खाद्यान्न बर्बाद हुआ. इसमें भारत में घरों में बर्बाद हुए भोजन की मात्रा छह करोड़ 87 लाख टन है. अगर हिसाब लगाया जाय तो भारत में हर साल एक आदमी 50 किलो खाना बर्बाद करता है.
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और साझेदार संगठन डब्ल्यूआरएपी की ओर से जारी खाद्यान्न बर्बादी सूचकांक रिपोर्ट 2021 में कहा गया है कि 2019 में 93 करोड़ 10 लाख टन खाद्यान्न बर्बाद हुआ, जिसमें से 61 प्रतिशत खाद्यान्न घरों से, 26 प्रतिशत खाद्य सेवाओं और 13 प्रतिशत खुदरा क्षेत्र से बर्बाद हुआ. रिपोर्ट में कहा गया कि यह इशारा करता है कि कुल वैश्विक खाद्य उत्पादन का 17 प्रतिशत भाग बर्बाद हुआ होगा.
एजेंसी ने कहा कि इसकी मात्रा 40 टन क्षमता वाले दो करोड़ 30 लाख पूरी तरह से भरे ट्रकों के बराबर होने का अनुमान है. भारत में घरों में बर्बाद होने वाले खाद्य पदार्थ की मात्रा प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 50 किलोग्राम होने का अनुमान है. इसी प्रकार अमेरिका में घरों में बर्बाद होने वाले खाद्य पदार्थ की मात्रा प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 59 किलोग्राम अथवा एक वर्ष में 19,359,951 टन है. चीन में यह मात्रा प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 64 किलोग्राम अथवा एक वर्ष में 91,646,213 टन है.
यूएनईपी की कार्यकारी निदेशक इंगर एडंरसन ने कहा, अगर हमें जलवायु परिवर्तन, प्रकृति और जैव विविधता के क्षरण तथा प्रदूषण और बर्बादी जैसे संकटों से निपटने के लिए गंभीर होना है तो कारोबारों, सरकारों और दुनिया भर में लोगों को खाद्यान्न की बर्बादी को रोकने में अपनी भूमिका निभानी होगी.
भारत की घटिया सिस्टम की वजह से गरीब खेत में और अमीर प्लेट में खाने को करते हैं बर्बाद
खाने की बर्बादी को लेकर एक और दिलचस्प तथ्य पता चले हैं. मसलन भारत जैसे विकासशील और लोअर इनकम वाले देशों में खाने की बर्बादी फार्म के स्तर पर होती है. अन्न के उत्पादन के वक्त भारत की घटिया सिस्टम की वजह से खेत से मार्केट में पहुंचने तक अन्न बर्बाद होता है तो वहीं अमीर लोग खाने की बर्बादी प्लेट में करते हैं. यानी खाना प्लेट तक तो पहुंच जाता है लेकिन प्लेट में खाना छोड़कर लोग उसे बर्बाद करते हैं.
जितना यूके खाता है, उतना हम बर्बाद कर देते हैं
भारत में खाने की बर्बादी के आंकड़े और भी हैरान करने वाले हैं. सीएसआर की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल जितना यूनाइटेड किंगडम खाता है, उतना हम बर्बाद कर देते हैं. भारत जैसे देश में जहां लाखों लोग भूखे पेट सोने के लिए मजबूर होते हैं, वहां खाने की बर्बादी के ये आंकड़े परेशान करने वाले हैं. भारत में खाने की बर्बादी सबसे ज्यादा नॉर्थ और सेंट्रल पार्ट्स के सार्वजनिक समारोहों में होती है. शादी-विवाह, सोशल और फैमिली फंक्शन, कैंटीन और होटलों में खाने की बर्बादी सबसे ज्यादा होती है.
भारत में हर साल करोड़ों टन अनाज की बर्बादी
रिपोर्ट के मुताबिक उत्पादन का करीब 40 फीसदी फूड बर्बाद चला जाता है. भारत के कुल गेहूं उत्पादन में करीब 2 करोड़ टन गेहूं बर्बाद हो जाता है. इतने बड़े पैमाने पर अन्न की बर्बादी हैरान करने वाली है. खुद कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में करीब 50 हजार करोड़ की कीमत का अन्न हर साल बर्बाद होता है. इतना अन्न बिहार जैसे राज्य की कुल आबादी को एक साल तक भोजन उपलब्ध करवा सकता है.