सरकारी कंपनियों का निजीकरण और नोटबंदी के बाद कई छोटे मोटे उद्योग बंद होने की वजह से देश में बेरोजगारी की समस्या दिन ब दिन विकराल होती जा रही है, इससे हरियाणा भी अछुता नहीं है.
नई दिल्ली : सरकारी कंपनियों का निजीकरण और नोटबंदी के बाद कई छोटे मोटे उद्योग बंद होने की वजह से देश में बेरोजगारी की समस्या दिन ब दिन विकराल होती जा रही है, इससे हरियाणा भी अछुता नहीं है. हरियाणा में 2020 के दौरान आलम यह था कि यहा नौकरी की तलाश कर रहे दस में 4 लोगों को काम मिल ही नहीं पाया. अब सरकार ने अपने लोगों को रोजगार देने का नया रास्ता निकाला है. इसके लिए खट्टर सरकार ने निजी कंपनियों में 75 फीसदी नौकरियां स्थानिय लोगों को देने का फैसला किया है.
इस अध्यादेश को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. इसके तहत स्थानीय आबादी की बेरोजगारी की समस्या को प्राथमिकता दी गई है. यह कानून 50 हजार रुपये मासिक वेतन तक की नौकरियों पर ही लागू होगा. अब सभी कंपनियों को तीन महीने के भीतर सरकार को बताना होगा कि उनके यहां 50 हजार तक की तनख्वाह वाले कितने पद हैं और इन पर हरियाणा से कितने लोग काम कर रहे हैं. उन्हें यह जानकारी सरकार के पोर्टल पर देनी होगी.
फोर्ब्स मार्शल के को-चेयरमैन नौशाद फोर्ब्स का कहना है कि हरियाणा की बीजेपी सरकार की यह घोषणा पूरी तरह से राजनीतिक है. उनका कहना है कि सरकार का यह कदम उन कोशिशों से बिलकुल विपरीत है जिसके तहत राज्य में निवेश और रोजगार सृजन के लिए काम किया जा रहा है.
हालांकि, ऐसा कानून बनाने वाला हरियाणा पहला राज्य नहीं है. इससे पहले आंध्र प्रदेश ने इसी तरह का कानून बनाने की कोशिश की थी, लेकिन संवैधानिक आधार पर चुनौती मिलने के बाद सरकार इसे अमल में नहीं ला पाई. सेंटर फॉर इंप्लायमेंट स्टडीज के रवि श्रीवास्तव कहते हैं कि संविधान में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं किया गया है. यही वजह है कि ज्यादातर सरकारें इसकी वकालत तो करती हैं पर इस तरह का कदम उठाने से गुरेज करती हैं. उनका कहना है कि यह भारत की लेबर मार्केट के लिए ठीक नहीं होगा.
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रवि श्रीवास्तव कहते हैं कि 80 के दशक के बाद से सरकारी कंपनियों में नौकरियां वैसे भी कम सृजित हो रही हैं. इसी वजह से आरक्षण का दायरा निजी कंपनियों की तरफ बढ़ रहा है. उनका कहना है कि हालांकि, इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं. इस तरह के राज्यों में सब कुछ नौकरशाही ही तय करती है. हरियाणा में लाइसेंस परमिट राज फिर से अपना सिर उठा सकता है. सरकारी मशीनरी के भी इससे भ्रष्ट होने के चांस बढ़ेंगे, क्योंकि कानून बनेगा तो उसमें सेंध लगाने के रास्ते भी बनेंगे. हरियाणा जैसे औद्योगिक रूप से समृद्ध राज्य का इस तरह का कदम बिहार, यूपी के लिए परेशानी का सबब बनेगा. वहां की ज्यादातर लेबर काम की तलाश में हरियाणा रुख करती है.
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